तर्ज-- घुंघरू टूट गए....
हुआ ब्रजे मंडल में शोर,
चलो सब नंद महल की ओर,
जनम लियो कान्हा ने....
ब्रज नगरी में धूम मची है,
ब्रजे नारी की शोर मची है,
बोले कोयलिया और मोर,
चलो सब नंद महल की ओर,
जनम लियो कान्हा ने....
नंद महल में बजत बधाई,
ग्वाल बाल गोपी सब आई,
घटा छाई है घनघोर,
चलो सब नंद महल की ओर,
जनम लियो कान्हा ने....
कैसी अद्भुद झांकी आई,
मुकुट लकुट भृकुटि है भाई,
देख जियरा मारे हिलोर,
चलौ सब नंद महल की ओर,
जनम लियो कान्हा ने....