दौड़ सके तो दौड़ ले, जब लग तेरी दौड़,
दौड़ थकी धोखा मिट्या, वस्तु ठौड़ की ठौड़ ।
कारीगर मत ना भटके रे,
मुसाफिर तू क्यूं भटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे....
कारीगर पथर घड़े,
पथर में पायो छेद,
छेद माँहि कीड़ो जीवतो रे,
नहीं जीवण री उम्मीद,
के मुख माँहि दाणो लटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे,
कारीगर मत ना.....
कारीगर किरतार ने रे,
भाई करवा लागो याद,
दौड़ बुढापो आवियो रे,
कदे नहीं भजियो राम,
भरोसे बैठो डटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे,
कारीगर मत ना.....
जंगल में मंगल भया रे,
चरू मिल्या जमीं दोय,
भगत केवे भगवान ने रे,
बांधे क्यूं नहीं पोट,
घरे म्हारे क्यूं नहीं पटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे,
कारीगर मत ना....
चोरां ने चरचा सुणी भाई,
लीना चरू निकाल,
कर्म हीन धन कैसे पावे,
धन का हो गया प्याल,
बात चोरां ने खटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे,
कारीगर मत ना.....
चोरां चरू निकालिया,
अरे लीना ढकण लगाय,
जा पटको उण दुश्मण पर रे,
काळ उसी को खाय,
दुश्मण मर जावे झटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे,
कारीगर मत ना....
चोर चढ्या छत ऊपरे,
लीना छपर उगाड़,
माधो कहे धन देवे दाता,
देवे छप्पर फाड़,
कारीगर गिणले झटके रे,
कर मालिक ने याद काम थारो,
कदे नी अटके रे,
कारीगर मत ना.....