( तू मेरी श्रधा, मेरा विश्वावस तू है,
मेरी चाहतें, मेरी प्यास तू है,
तू मेरे सामने ना आये तो क्या,
लगता है मुझे मेरे आस पास तू है। )
प्याार में तेरे, सांवरिया,
मैने ये जमाना छोड़ दिया,
जो राह तेरे दर से ना मिले,
उस राह पे जाना छोड़ दिया॥
अब तेरी दया बिन हे दाता,
मेरी किस्मत कुछ ऐसी थी,
जैसे गुलशन के फूलों ने,
हंसना मुस्काना छोड़ दिया,
जो राह तेरे दर से ना मिले,
उस राह पे जाना छोड़ दिया॥
बस एक ठिकाना श्याम तेरा,
रहता तू दुखी के सीने में,
मैं और कहॉं ढूंढूंगा तुम्हें,
गर ये भी ठिकाना छोड़ दिया,
जो राह तेरे दर से ना मिले,
उस राह पे जाना छोड़ दिया॥
मन जाये जहां तू ही हो वहां,
सर झूके तो पद हो तेरे ही,
‘गजे सिहं’ ने सर अब श्याम सिवा,
कहीं और झुकाना छोड़ दिया,
जो राह तेरे दर से ना मिले,
उस राह पे जाना छोड़ दिया॥