जय जय हर हर गौरी शंकर, ईश्वर दिन दयाला है
राम नाम में समय बिताना, सच्चा धर्म हमारा है
सुबह शाम दिन रात जपो तो, हो कल्याण तुम्हारा है,
कैलाशी काशी के वासी, भोला डमरूवाला है,
जटा जुट शिर गंग विराजे, अर्द्ध चन्द्रमा न्यारा है,
गले बीच लिपटे है बिषधर, कानन कुण्डल वाला है,
बिष पीवत ही नीलकंठ भये, पार्वती का प्यारा है,
दुष्टो का संहार करण को, कर त्रिशूल सँभारा है,
अलख निरंजन भव दुःख भंजन, भक्तो का प्रतिपाला है,
जो ध्यावे इच्छा फल पावे, पल में करत निहाला है,
नाव पड़ी मझधार बीच में, दिखत नहीं किनारा है,
भोले नाथ महेश्वर शम्भू, पार लगाने वाला है.
नैन उघाड़ देख मानव तू, जग में कौन तुम्हारा है,
भजन किये भव बंधन छूटे, झूठा सब जंजाल है,
मन मंदिर में ज्योति जगाकर, करते मान तुम्हारा है,
भक्त मंडल अब शरण तुम्हारी, तू ही इक रखवाला है,
जय जय हर हर गौरी शंकर, ईश्वर दिन दयाला है
राम नाम में समय बिताना, सच्चा धर्म हमारा है