म्हारेघडी रे घडी रो रिछपाल भगता तारो प्रति पाल, खाटू वालो श्यामजी
ओ खाटू वालो श्यामजी, ओ खाटू वालो श्यामजी
म्हारेघडी रे घडी रो रिछपाल......
नैया पड़ गयी बिच भंवर में, केवट भूल्यो राह
दास भरोसे बैठ्यो आपके,सुनी पड़ी रे पतवार खाटू वालो श्यामजी
म्हारेघडी रे घडी रो रिछपाल.....
आधी रात पहर के तड़के,खाटू पड़ी रे पुकार,
सुनत पुकार नींद से उठ्यो,हाथ संभाली पतवार खाटू वालो श्यामजी
.म्हारेघडी रे घडी रो रिछपाल.....
दिन अनाथ के मेरे बाबा, थारो ही आधार,
डूबी नैया पार लगावे,श्याम बड़ो ही दातार खाटू वालो श्यामजी
म्हारेघडी रे घडी रो रिछपाल.....
आलूसिंह,बाबा करे विनती,सुनो मेरी कर तार
दास गाड़ियों अरज करत हे,नैया लगाओ भव से पार खाटू वालो श्यामजी
म्हारेघडी रे घडी रो रिछपाल.....