ऐसी करदी दया तूने ओ साँवरे,
तेरे दर आके सचमुच मज़ा आ गया,
है ज़रूरत मेरी तू ही तू मेरे श्याम,
तेरी भक्ति का मुझपे नशा छा गया,
ऐसी करदी दया....
जब से देखी तेरे दर की रौनकें,
दिल ने ठाना नहीं जाना दर छोड़के,
कैसा जादू किया तूने ओ साँवरे,
तेरा मुखड़ा सलोना मुझे भा गया,
ऐसी करदी दया...
संग तुझसा न अब तक था देखा,
हाथों की, पलट दी है रेखा,
तेरा दर मेरा सर रिश्ता कायम रहे,
शुक्रिया तेरा करने अदा आ गया,
ऐसी करदी दया...
मेरी आँखें नही होती अब कभी नम,
साथ तुम हो तो फिर "श्याम" काहे का ग़म,
दो वचन मैं भजन तेरे गाता रहूँ,
अब तो मन्ज़िल का अपनी पता पा गया,
ऐसी करदी दया तूने ओ साँवरे,
तेरे दर आके सचमुच मज़ा आ गया,
ऐसी करदी दया तूने ओ साँवरे..