मधुबन में धूम मचाई हो मुरलिया हरि की,
हाय हाय मुरलिया हरि की, होय होय मुरलिया हरि की,
मधुबन में धूम मचाई हो....
जैसे तैसे उल्टे सीधे गृह कारज निपटाई,
कर उल्टे श्रंगार गुजरिया बंसीवट की धाई,
मुरलिया हरि की....
खीर में नॉन दाल में शक्कर मक्खन में मिरचाई,
गऊ को साग ससुर को भूसा ऐसी मति वोराई,
मुरलिया हरि की....
जो शंकर जी कामदेव को क्षण में दिया जलाई,
वही रास दर्शन हित दौड़े गोपी बेश बनाई,
मुरलिया हरि की....
हसी बोले घनश्याम प्रियांशु यह कौन कहां से आई,
कहे शंभू आई त्रिलोचना गिरी कैलाश बिहाई,
मुरलिया हरि की.....