परम पिता से प्रीत लगा भवसागर से पार हो जा....-2
सत्संग में नित जाया कर, गुण ईश्वर के गाया कर,
मन अपने को शुद्ध बना, भवसागर से पार हो जा,
परम पिता से प्रीत लगा....
अंदर है प्रीतम तेरा, मन मंदिर में है डेरा,
मन में ज्ञान की ज्योति जगा, भवसागर से पार हो जा,
परम पिता से प्रीत लगा....
विषयों की चल रही अंधेरी, जिस ने बुझाई ज्योति तेरी,
इससे अपना आप बचा, भवसागर से पार हो जा,
परम पिता से प्रीत लगा....
ऐ मानव विषयों को छोड़, परमेश्वर से नाता जोड़,
जीवन वेद अनुसार बना, भवसागर से पार हो जा,
परम पिता से प्रीत लगा....