उड़े बात नई कीर्तन में

सुनी उड़े बात नई कीर्तन में,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में………..

बाबा का दरबार लगा था,
देसी घी का दिया जला था,
सबने महक लायी री कीर्तन में,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में………..

जय बजरंग की सारे बोले,
देख सवारका नार ना बोले,
जय जय गूँज रही कीर्तन में,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में……….

जब उन्हें अर्जी लगावैं लागे,
अपना रोग लगावैं लागे,
बाबा को दी अर्जी अपन ने,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में,
सुनी उड़े बात नई कीर्तन में……….

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