इतनी किरपा करना तुम्हे नाथ नहीं भूलू,
मैं तेरी बदौलत हूँ ये बात नहीं भूलू...
खुशियों के उजाले में सब साथ निभाते हैं,
जब रात हो गम की तो कोई नज़र ना आते हैं,
उस वक़्त दिया तुमने मेरा साथ नहीं भूलू,
इतनी किरपा करना तुम्हे नाथ नहीं भूलू....
कितने ही अपनों से तुमने मिलवाया है,
नफरत के पुतले को प्रभु प्रेम सिखाया है,
जो तुमसे भरे दिल में जज़्बात नहीं भूलू,
इतनी किरपा करना तुम्हे नाथ नहीं भूलू....
अपनों को भीड़ में जब तन्हाई ने घेरा था,
कहने को थे सब अपने पर कोई ना मेरा था,
तुमने ही रखा उस पल सर पे हाथ नहीं भूलू,
इतनी किरपा करना तुम्हे नाथ नहीं भूलू....
बेकार था बेबस था गुमनाम जहाँ में था,
सोनू मुझे याद रहे था कौन कहाँ मैं था,
कितना ही नाम मिले औकात नहीं भूलू,
इतनी किरपा करना तुम्हे नाथ नहीं भूलू....