कंकर कंकर बना है शंकर माँ तेरे प्रताप से,
दरस तेरा भक्तों को छुड़ाए जीवन के हर ताप से,
हर हर नर्मदे हर, हर हर नर्मदे हर...
कल कल करके बहती जाए मां रेवा,
संत मुनि सब करते मां तेरी सेवा,
छाती तोड़ पर्वतों की तू बहती जाए चाव से,
दरस तेरा भक्तों को छुड़ाए जीवन के हर ताप से,
हर हर नर्मदे हर, हर हर नर्मदे हर....
कोई समझ न पाए तेरी गति न्यारी,
बूंद बूंद से सींचे जीवन की क्यारी,
संग तुझे न भाए किसी का बहती जाए चाव से,
दरस तेरा भक्तों को छुड़ाए जीवन के हर ताप से,
हर हर नर्मदे हर, हर हर नर्मदे हर....
चली अमरकंटक से तेरी अमर कहानी,
अमृत बन के बहता मां तेरा पानी,
पाप सभी मिट जाते हैं मां रेवा तेरे नाम से,
दरस तेरा भक्तों को छुड़ाए जीवन के हर ताप से,
हर हर नर्मदे हर, हर हर नर्मदे हर....
गायक एवं रचनाकार -मनोज कुमार खरे