बूझते श्याम कौंन तूं गोरी,
बूझत श्याम कौंन तूं गोरी
1.कहां रहति काकी है बेटी,
देखी नहीं कहूं ब्रज ख़ोरी 
बूझत श्याम.... 
2.काहे कौं हम ब्रजतन आवतिं,
 खेलति रहतिं आपनी पौरी 
 बूझत श्याम.... 
3.सुनत रहति स्त्रवननि नंद ढोटा,
 करत फिरत माखन दधि चोरी 
 बूझत श्याम.... 
4.तुम्हरौ कहा चोरि हम लैहैं,
 खेलन चलौ संग मिलि जोरी 
 बूझत श्याम.... 
5.सूरदास प्रभु रसिक सिरोमनि,
 बातनि भुरइ राधिका भोरी 
 बूझत श्याम कौंन तूं गोरी,
बूझत श्याम कौंन तूं गोरी 
बूझत श्याम.... 
श्री हरिदास निष्काम संर्कींतन