मेरे रोम रोम में राम बसें,
मेरे रोम रोम में राम,
राम ही मेरे प्राण आधार हैं,
राम ही मेरे प्राण,
जय राम जय राम.....
बाम अंग हैं सीता मैया,
दायें अंग लखन,
आगे आगे चले शान से,
पवन पुत्र बजरंग,
साँझ सवेरे मैं गाऊँ
बस तेरा ही गुणगान
जय राम जय राम.....
तेरी लीला तू ही जाने,
हैं विष्णु अवतार,
मैं तुझमें हूँ तू मुझमें,
बस जानूँ इतना सार,
हे करुणा के सागर कर दो,
मेरा भी कल्याण,
जय राम जय राम.....