मैं क्या जानू मेरे रघुराई

मैं क्या जानू मेरे रघुराई,
तू जाने मेरी किस में भलाई
सहारा तेरा, ओ साईं.....

सारे जगत को देने वाले,
मैं क्या तुझ को भेंट चढ़ाऊँ,
जिसके स्वांस से आए खुशबू,
उसको क्या में फूल चढ़ाऊँ,
अपरमपार है महिमा तेरी,
कोई ना जान पाए,
सहारा तेरा है ओ साई,
मैं क्या जानू मेरे रघुराई,
तू जाने मेरी किस में भलाई
सहारा तेरा, ओ साईं……..

सारे द्वारे छोड़ के भगवन,
आज मैं तेरे द्वारे आई
बाह पकड़ लो अब तो ठाकुर,
तो जानू तेरी ठकुराई
इस दुनिया की भीड़ भाड़ में,
तेरा ही आधार
सहारा तेरा है ओ साई,
मैं क्या जानू मेरे रघुराई,
तू जाने मेरी किस में भलाई
सहारा तेरा, ओ साईं…….

बाँह पसार के जिस को छू ले,
लोहा भी पारस हो जाता
तेरी शरण में जो भी आवे,
वो पापी पावन हो जाता
बीच भवर में नैया मेरी,
अब तो लगा दो पार
सहारा तेरा है ओ साई,
मैं क्या जानू मेरे रघुराई,
तू जाने मेरी किस में भलाई
सहारा तेरा, ओ साईं…..
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