मंदिर से बाहर आ जा माँ

मां जय जय मां...
मंदिर से बाहर आ जा माँ तेरे भक्त घरों से पुकार रहे,
तेरे नवरात्रों में मैया रो-रो के हा बेहाल रहे,
मंदिर से बाहर आ जा माँ तेरे भक्त घरों से पुकार रहे,
तेरे नवरात्रि जब भी आते थे मिलकर खुशी मनाते थे,
घर घर में जोत जगाके मां हर घर जगराते होते थे,
अब रो के तुझे बुलाते हैं महामारी के डर से हार रहे,
मंदिर से बाहर आ जा माँ तेरे भक्त घरों से पुकार रहे....

मां जय जय मां मां जय जय मां...

तूने बड़े-बड़े राक्षस को मां त्रिशूल से मार गिराया था,
इस महामारी के दानव से हर भगत तेरा घबराया मां,
इसको भी जड़ से उखाड़ो मां तेरे होते सदा जयकार रहे,
मंदिर से बाहर आ जा मां तेरे भक्त घरों से पुकार रहे....

विपदा की घड़ी जो आई हो हर दिल ने यही सुनाई हो,
चहल दीवाना अरज करे तू हर जन की महामाई हो,
भक्तों की संकट टालो मां तेरे दर पर सदा आभार रहे,
मंदिर से बाहर आ जा मां तेरे भक्त घरों से पुकार रहे.....
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