लागा रे लागा रे लागा, सांवरे के संग मन लागा,
चुनरी ओढ़ी श्याम रंग की, बांधा उसके नाम का धागा,
लागा रे लागा रे लागा, सांवरे के संग मन लागा....
जब से प्रीत लगी मोहन से, लोभ मोह सब छूटा मन से,
रहूं मैं खोई याद में उसकी, नाम जपु दिन रात लगन से,
भक्ति का रंग ऐसा दमका जैसे सोने पे सुहागा,
लागा रे लागा रे लागा, सांवरे के संग मन लागा....
सूरदास की लगन को देखो ,कृष्ण को अन्तर घट में पाया,
राधा प्रेम की इष्ट बनी और मीरा को जन जन ने गाया,
उसको पाने की लगन में ध्रुव ने झूठे जग को त्यागा,
लागा रे लागा रे लागा, सांवरे के संग मन लागा....
श्याम लगन की रीत निराली, अमृत से भर दे घट प्याली,
जिसके मन में लगन की ज्योति उसकी रातें भी उजियारी,
जिसके हृदय शाम रतन फिर वो काहे को रहे अभागा,
लागा रे लागा रे लागा, सांवरे के संग मन लागा....