ब्रज गोपिन तोरी लेऊँ बलैया,
बड़भागी सब रास सुख पावत,
क्रीड़त संग जाके कृष्ण कन्हैया,
ब्रज गोपिन तोरी----------
जाय कोऊ घर थाट बजावत,
कोऊ घर जाय चरावत गईया,
ब्रज गोपिन तोरी----------
करत कोऊ घर माखन चोरी,
पकड़त जाय छुड़ावत मईया,
ब्रज गोपिन तोरी-----------
बलिहारी हरि पुनि पुनि जाऊँ,
मोरे मुरलीधर जग सृष्टि रचैया,
ब्रज गोपिन तोरी-----------
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी