( राम का नाम जिसकी जुबा पे आया है,
प्रभु ने बाहे फैलाके उसने अपनाया है,
मुक्ति का हो गया अधिकारी वो,
भर के मस्ती में जिसने राम गुण गाया है। )
श्री राम प्रभु का क्या कहना,
वो प्रीत की रीत निभाते है,
शबरी के झूठे बेर प्रभु,
बड़े भाव चाव से खाते है,
श्री राम प्रभु का क्या कहना.....
संग सीता लखन है, गंगा पार जाना है,
भक्त केवट को तारने का ये बहाना है,
राम के चरणों का दीवाना वो पुराना है,
चरण धोके उसे चरणामृत भी पाना है,
श्री राम प्रभु का क्या कहना....
लगन हनुमान जी ने राम से लगाई थी,
राम का नाम जपके भक्ति ऐसी पाई थी,
करी बजरंगी की प्रभु जी ने बढ़ाई थी,
राम सीता की मूरत सीने में भी पाई थी,
श्री राम प्रभु का क्या कहना....
राम का नाम साँचा प्रीत जग की झूठी है,
राम से दूर जो तकदीर उसकी फूटी है,
अलग जो राम से सांस इक छुटी है,
सदा भूलन ने राम नाम घुट घुटी है,
श्री राम प्रभु का क्या कहना.....