बोली हनुमान से यू जनक नंदिनी,
तुम रचा लो विवाह अपना बजरंगबली.....
तुम असुर बल के स्वामी महावीर हो,
तुम परम भक्त सबके महावीर हो,
गोरी काली मिले या मिले सांवली,
तुम रचा लो विवाह अपना बजरंगबली.....
मेरे मन में लगन है सियाराम की,
बड़ी किस्मत से सेवा मिली आपकी,
कोई गलती हुई है क्या माता मेरी,
तुम रचा लो विवाह अपना बजरंगबली.....
हर असंभव को संभव किया आपने,
राम प्रभु को सहारा दिया आपने,
गर्व रावण को था तब तो लंका जली,
तुम रचा लो विवाह अपना बजरंगबली.....
नाम कलयुग में सबने जपा है तेरा,
हर तीर्थ पर डंका बजा है तेरा,
हर घर घर में ज्योति जलाई तेरी,
तुम रचा लो विवाह अपना बजरंगबली.....