सूना पति बिना संसार,
बिन परमेश्वर सूना मंदिर, बिंदिया बिना लिलार,
सूना पति बिना संसार......
तेल बिना दीया बाती सूनी,
फूल बिना है क्यारी सूनी,
नीर बिना है नदिया सूनी, बिन बालक मेहतार,
सूना पति बिना संसार....
पति ही ब्रह्मा पति ही विष्णु,
पति ही है त्रिपुरारी शंभू,
रोम रोम में पति समाए, मिलते सुख अपार,
सूना पति बिना संसार.....
पति ही गंगा पति ही जमुना,
पति ही है नर्मदा की धारा,
पति ही है जीवन की नैया, पति ही हैं भरतार,
सूना पति बिना संसार.....
स्वर के बिना हैं वीणा सूनी,
बिना गाय गौशाला सूनी,
प्राण बिना यह सूना तन है, बिना पति के नार,
सूना पति बिना संसार....
दो तन है पर एक आत्मा,
जैसे नइया और पतवारा,
जिस नारी ने कंधा पायो, वह तरणी हुई नार,
सूना पति बिना संसार.....
सारी उम्र पति की पूजा,
चरण पखारन काम है दूजा,
पति पूजारान जो नारी है, अमर सुहागन नार,
सूना पति बिना संसार......