शिरडी के साई,
शिरडी के साई रे,
कहाँ छुपे हो मेरी बा,
कहाँ छुपे हो मेरी बा,
काँटों के ऊपर सेज है मेरी,
काँटों के ऊपर सेज है मेरी,
बैरी हुआ संसार,
हो बैरी हुआ संसार,
कहाँ छुपे हो मेरी बा.....
लाखों की तुमने बिगड़ी बनायी,
क्यों फिर मेरी याद ना आयी रे,
अपने ही साये से डर लागे,
क्यों सुख मुझसे दूर ही भागे रे,
ग़मों की गठरी का अब मुझसे,
सहा ना जाए भार,
कहाँ छुपे हो मेरी बा,
कहाँ छुपे हो मेरी बा.....
आँसू बहाते बिती उमरिया,
तुम्हे क्यों हुयी ना इसकी खबरिया रे,
रगड़ रगड़ के घिस गया माथा,
दर्द में भीगी सुन ले गाथा रे,
फूलों से कोमल काया ऊपर,
बरस रहे अंगार,
कहाँ छुपे हो मेरी बा,
शिरडी के साई रे,
कहाँ छुपे हो मेरी बा,
कहाँ छुपे हो मेरी बा,
शिरडी के साई रे....