कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली,
दे रही गाली कहे बिचारी,
आज न जाने कोने बगिया उजाड़ी,
कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली.....
एक वानर जाने कहा से आयो ना जाने कैसे घुस आयो,
केसर क्यारी और फुलवारी चुन चुन के याने कलिया उखाड़ी,
कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली.....
याने बड़ी उत्पात मचायो सगरो बाग़ उजाड़ो,
पत्ता पत्ता डाली डाली अशोक वाटिका की शोभा बिगाड़ी,
कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली....
तोड़ तोड़ याने फल है गिराए लता पताये बिखराई,
कछु खाये कछु याने बिखराये कच्ची कैरी तोड़ गिराई,
कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली.....
लेके खबरिया लंका में जइयो यो माली से बतराई,
लंका नरेश से यो कह अइयो गलती हमारी नाइ,
जल्दी जइयो पैया पड़ियो नहीं तो जाएगी नोकरिया हमारी,
कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली.....
उछल उछल कर नैन दिखावे पल पल हमे चिढावे,
माथो ठनके समझ नहीं आये पूरा हाल बताइयो,
बड़ी परेशानी संकट भारी सगरी वाटिका बनी वीरानी.
कर रही सोच विचार मालनिया दे रही गाली.....