तर्ज - पारम्परिक
श्री बाबोसा तेरा दरबार मेरे मन को लुभाता है,
तेरी छवि देखके मुझको, चैन आता है,
श्री बाबोसा तेरा दरबार.....
तेरे मुख पे बरसे नूर, अँखियों में अमीरस धार,
देखके चाँद शरमाये, क्या खूब सजा है दातार,
हो ..तेरे मुकुट में हीरा लाल, दिव्य तेज है चमके बाल
मेरा बाबोसा घोटे वाला, ये माँ छगनी का लाल
तेरी लूँ में नजर उतार,
श्री बाबोसा तेरा दरबार.....
तेरा दिव्य स्वरूप का बाबा, कैसे करू मैं बखान,
जब जब भी देखे तुझको, रहे न मुझको कोई भान,
मेरे तुमसे जुड़े ये तार, तुझे दिल मे लूँ मैं उतार,
तेरा भक्त ये दिलबर, तुझे हरपल रहा निहार,
तेरी लूँ में नजर उतार,
श्री बाबोसा तेरा दरबार.....