सुन भक्तों की पुकार होके नंदी पे सवार,
काशी नगरी से आये हैं भोले शंकर....
भस्मी रमाये देखो डमरू बजाये,
कैसा निराला भोले रूप सजाये,
गले में है सर्पो का हार होके नंदी पे सवार,
काशी नगरी से आये हैं भोले शंकर.....
मृग चाल पहने है जटाओ में गंगा,
चम चम चमकता है माथे पे चंदा,
गौरी मैया के श्रृंगार होके नंदी में सवार,
काशी नगरी से आये हैं भोले शंकर....
देवों के देव इनकी महिमा महान है,
भोले भक्तों के ये तो भोले भगवान है,
करने भक्तों का उद्धार होके नंदी पे सवार,
काशी नगरी से आये हैं भोले शंकर....