मेरी देह छुटे वृन्दावन में


तरज़:-दिल लुटने वाले जादूगर

मेरी देह छुटे वृन्दावन में,
गोकुल में इसे जला देना
मेरी राख व्यर्थ ना हो पाए,
जमुना में इसे बसा देना

1.ये बेटे पोते नाती है,
भवसागर के ये प्राणी है
सब मोह माया के जाल है,
मुझे इनसे दूर हटा देना
मेरे देह....

2.इन मोटे गद्दे तकियों को,
मुझ से तुम दूर हटा देना
गोबर का चौंका देकर कर के,
भूमि पर मुझे सुला देना
मेरी देह....

3.जब अंत समय आ जाऐ तो,
सतसंगी यंहा बुला लेना
गीता का पाठ सुना देना,
गंगाजल मुझे पिला देना
मेरी देह....

4.जब सांस मेरी रुक जाए तो,
ओर देह मृतक हो जाऐ तो
घर में कोई नहीं रोने पाए,
तुम ऐसा वचन ‌सुना देना
मेरी देह...

मेरी देह छुटे वृन्दावन में,
गोकुल में इसे जला देना
मेरी राख व्यर्थ ना हो पाए,
जमुना में इसे बसा देना


श्री हरिदास निष्काम संर्कींतन
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