घर धंधे में पड़ी री बावरी तोहे कैसे राम मिलेंगे....
आंख दई तोहे दरस करन को,
आखन पट्टी बंधी री बावरी, तोहे कैसे राम मिलेंगे...
कान दई तोहे भजन सुनन को,
कानन डटक लगी री बावरी, तोहे कैसे राम मिलेंगे...
जीव दई सत्संग करन को,
तेरी मेरी चुगली करे री बावरी, तोहे कैसे राम मिलेंगे...
हाथ दिए तोहे दान करन को,
हाथन मुट्ठी बधी री बावरी, तोहे कैसे राम मिलेंगे...
पैर दिए तोहे तीरथ करन को,
घर-घर घूमत फिरे री बावरी, तोहे कैसे राम मिलेंगे...