मन हरि ओम हरि ओम गा ले

मन हरि ओम हरि ओम गा ले,
नाम जपने की आदत बना ले...

पुण्य तेरा बढे जब तू सत्संग करें,
पाप तेरा कटे जब तू सेवा करें,
इस रीत से रब को रिझा ले,
नाम जपने की आदत बना ले.....

तन जिसने दिया इसका मालिक वही,
तू मस्त ही रहा नाम जपता नहीं,
तू किराया समझकर ही गा ले,
नाम जपने की आदत बना ले.....

दुष्कर्म  में जीवन लगाना नहीं,
एक पल भी प्रभु को भुलाना नहीं,
उसके चरणों से प्रीति लगा ले,
नाम जपने की आदत बना ले.....

कौन धड़कन यह तेरी चलाएं रे मन,
कौन नाड़ी में रक्त बहाए रे मन,
उस मालिक का शुक्र मना ले,
नाम जपने की आदत बना ले.....

तुझे सम्मान शोहरत प्रभु ने दिया,
इसे कर्जा समझ यह जो जीवन दिया,
इसका ब्याज समझकर ही गा ले,
नाम जपने की आदत बना ले......
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