चाँद से सुन्दर मुखड़ा

चाँद से सुन्दर मुखड़ा जिसका,
आँखें अमृत की प्याली,
वो तो कोई और नहीं,
वो है माँ शेरावाली,
चाँद से सुन्दर मुखड़ा जिसका,
आँखें अमृत की प्याली,
वो तो कोई और नहीं,
वो है माँ शेरावाली.....

नादाँ हैं जो कहते माँ का मुखड़ा,
चाँद के जैसा है,
हमने चाँद को इस मुखड़े से,
नूर चुराते देखा है,
सूरज की किरणों ने मांगी,
माँ के हाथों से लाली,
चाँद से सुन्दर मुखड़ा जिसका,
आँखें अमृत की प्याली,
वो तो कोई और नहीं,
वो है माँ शेरावाली.....

क्यों देखें अम्बर को,
और क्या करना है बहारों का,
मैया की चुनरी में ही है,
डेरा चाँद सितारों का,
ऐसा कोई फूल नहीं जिससे,
माँ का गजरा हो ख़ाली,
चाँद से सुन्दर मुखड़ा जिसका,
आँखें अमृत की प्याली,
वो तो कोई और नहीं,
वो है माँ शेरावाली......

स्वर्ग वो देखें, जिस प्राणी के,
दिल में माँ की चाहत है,
अपना स्वर्ग तो शेरवाली,
के दरबार की चौकठ है,
स्वर्ग से ज़्यादा खुशियां,
हमने माँ के चरणों में पाई,
चाँद से सुन्दर मुखड़ा जिसका,
आँखें अमृत की प्याली,
वो तो कोई और नहीं,
वो है माँ शेरावाली.....
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