तरज़-:फुल तुम्हें भेजा है ख़त में
श्यामा जू बृज़ की ठकुरानीं,
ठाकुर बांकें बिहारी हैं,
इन दोनों के चरणं कमल पर दास,
जाये बलिहारी है,
श्यामा जू......
श्यामा शाम का रूप जो देखा,
मन वृन्दावन खिंचता है,
बस जाऊं बृज़ भुमिं अन्दंर नित,
युगल रूप के दर्श करूं,
श्यामा जू......
ध्यान में जब ना देखूं इनकों,
मन बैचैंन हो उठता है,
प्रेम सागर उमड़े जब जब,
नैनों से नीर बरसता है,
धसका के जीवन,
श्री राधा रसिक बिहारी हैं,
श्यामा जू......