हम नैन बिछाए है,
हे गणपति आ जाओ ॥
गणपति तुम हो बड़े दयालु,
किरपा कर दो हे किरपालु,
हर सांस बुलाए है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए,
हे गणपति आ जाओ ॥
पाप की गठरी सर पे भारी,
हम को है बस आस तुम्हारी,
बड़ा मन घबराए है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए है,
हे गणपति आ जाओ ॥
जग से हमने तोडा नाता,
गणपति तुमसे जोड़ा नाता,
तुझे नैना निहारे है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए हैं,
हे गणपति आ जाओ ॥
माथे पर सिंदूर है प्यारा,
पीताम्बर है तन पर धारा,
सब आस लगाए है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए हैं,
हे गणपति आ जाओ ॥
" मंजीत सिंह "
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