मेरा खिवैया मेरा कन्हैया

बनके खिवैया कन्हैया मेरी नाव चलाये,
बनके नैया कन्हैया मेरी नाव चलाये,
जिसको बाबा जिताये, उसको जग क्या हराए….

कलयुग में बस बर्बरीक है, हारे का सहारा,
जब तक सूरज चाँद रहेगा, गुजेगा जयकारा,
शरण में आपके ले, शरण में आपके ले,
तेरा श्याम बनेगा सहारा……

हम तो प्रेमी श्याम के ऐसे,
हालातो से ना घबराते,
सुख और दुःख है श्याम सहारे
सोच के हर दम हम मुस्काते,
ठोकरे रास्तो की मंजिलो से मिलाये,
जिसको बाबा जिताये, उसको जग क्या हराए….

जीवन नैया के खिवैया, चिंता फिकर काहे करे हम,
आगे आगे चले हमारे, साँवरिया के पीछे चले हम,
ढाल बनके सदा, मुश्किलो से बचाये,
जिसको बाबा जिताये, उसको जग क्या हराए….

दर दर ठोकर खाई तुमने फिर भी सब जन पाई,
आके देखो श्याम चरण में पल में हो सुनवाई,
शरण में आपके ले, शरण में आपके ले,
तेरा श्याम बनेगा सहारा……

श्याम का एक सहारा काफी,
श्याम पे है हमे एक भरोसा
सारी खुशियों को बाबा ने,
जीवन की थाली में परोसा,
खाटू वाले के गुण ” गोलू ” फिर क्यों ना गाए,
जिसको बाबा जिताये, उसको जग क्या हराए….

जिसको बाबा जिताये, उसको जग क्या हराए,
जिसको बाबा जिताये, उसको जग क्या हराए…
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