मेट ही दिए भक्तो के संकट तूने बात ही बात में,
लीले वाले लेहरी जब मोरछड़ी तेरे हाथ मे,
उजड़े हुए घरो को बाबा मोरछड़ी ने वसा डाला,
रोटा हुआ जो दर पे आया पल में उसे हसा डाला,
जीवन भर वो फिर ना रोया साँझ सुबह दिन रात में,
लीले वाले लेहरी जब मोरछड़ी तेरे हाथ मे,
कोशिश करके भी कितनो की विपदा नहीं मिटी जग में,
मोरछड़ी के एक झाड़े ने काम बना डाला पल में,
बाल ना बांका कर सके चाहे बैठा दुश्मन खाट में,
लीले वाले लेहरी जब मोरछड़ी तेरे हाथ मे,
हर्ष धनुष है राम के हाथो कृष्ण सुदर्शन दारी है,
शंकर ले त्रिशूल खड़े है शक्ति लिए कटारी है,
जान गये हम क्यों रखते हो मोर छड़ी तुम साथ में,
लीले वाले लेहरी जब मोरछड़ी तेरे हाथ मे,