श्याम, श्याम,
मेरी डूबी कश्ती को,
सहारा ना मिलता,
अगर श्याम तेरा,
सहारा ना मिलता,
मुझको ये जीवन,
दुबारा ना मिलता,
अगर श्याम तेरा,
सहारा ना मिलता…...
जमाने में मेरा,
ठिकाना नहीं था,
मेरे जीने का कोई,
बहाना नहीं था,
फिर दरबदर,
चैन कहीं भी ना पाया,
मेरे दिल ने धोखा,
धोखा ही खाया,
तुझे धोकों का ये,
मारा ना मिलता,
अगर श्याम तेरा,
सहारा ना मिलता......
किसे दिल की बातें मैं,
अपनी सुनाता,
जख्म अपने दिल के,
किसे मैं दिखाता,
जिसे मैंने अपने,
दिल की सुनाई,
उसी ने हँसी मेरी,
श्याम उड़ाई,
मुझे जिंदगी का,
गुजारा ना मिलता,
अगर श्याम तेरा,
सहारा ना मिलता......
सभी से भरोसा,
मेरा उठ गया था,
शर्मा को बाबा,
यूँ लग रहा था,
नहीं है ये दुनिया,
जीने के काबिल,
अगर तेरी चोखट जो,
ना होती हासिल,
तुझे दुनिया का ये,
हारा ना मिलता,
अगर श्याम तेरा,
सहारा ना मिलता……