मन मस्त हुआ कबीर बानी

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले..
हल्की थी जब चढ़ी तराजू
पूरी भई अब क्या तोले..
हीरा पाया बाँध गठरिया.
बार बार वाकू क्या खोले...
हंसा न्हाय मान सरोवर.
ताल तलैया में क्या डोले..
कहत कबीर सुनो भाई साधो.
साहिब मिल गया तिल ओले..

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