कैया घुंघटीयो उठाऊं म्हाने पाप लागे,
यो श्याम धणी भई मेरे धणी रो बाप लागे.....
बनी जद दुल्हनिया नयी रे नवेली,
जद यो दिखायो मन्ने श्याम की हवेली,
सबसे पहल्या खाटू गठजोड़े की जात लागे,
यो श्याम धणी भई मेरे धणी रो बाप लागे.....
जद यो बाबा ने भजन सुनावे,
नाचण की मेरे मन में आवे,
घुंघटा और लाम्बा काढू चौखा नाच लागे,
यो श्याम धणी भई मेरे धणी रो बाप लागे.....
कैसा बण्यो है संजोग रोऊँ मैं या हंसू मैं,
जां का दर्शन ने आई वा से ही घूँघट काढू मैं....
की के आगे रोऊँ बनवारी यो दुखडो,
कोन्या देख पाई मैं तो श्याम को मुखडो,
साँची बात मेरी सबने मज़ाक लागे,
यो श्याम धणी भई मेरे धणी रो बाप लागे.....