ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार

ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार
ना चाँदी के श्रृंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे है,
मन में साँझा प्यार और सीधा सा वेहवार,
ना एहम का कोई विचार श्याम तो प्रेम के भूखे है,

जो पुष्प न पास तुम्हरे बानी को पुष्प बनलो,
पुष्पों के हार बना के चरणों में इनके चदा दो,
खुश होके मेरे बाबा कर लेंगे इसे सवीकार,
ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार.......

जब श्याम किरपा हो जाती मिटी सोना बन जाती,
सोने में श्याम न मिलती ये मीरा हस हस गाती,
महलो को उसने छोड़ा तब पाया श्याम का प्यार,
ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार.........

सांवरिया उस घर मिलते यहाँ पुष्प प्रेम के खिलते,
दीनो के वेश में बाबा भगतो से मिलने निकलते,
बाबा को वोही पाए दीनो से जो करे प्यार,
ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार...

जो छल लेकर यहाँ आता,
वो खुद ही छला है जाता,
तेरी लीला अजब निराली तेरा भगत कुमार है गाता,
मेरे बाबा माफ़ करना बीएस देखो मेरा प्यार,
ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार.......
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