आए हैं प्रभु श्री राम,
भरत फूले ना समाते हैं ।
तन पुलकित मुख बोल ना आए,
प्रभु पद कमल रहे हिए लाये ।
भूमि पड़े हैं भरत जी,
उन्हें रघुनाथ उठाते हैं ॥
प्रेम सहित निज हिय से लगाए,
नैनो में तब जल भर आए ।
मिल के गले चारो भैया,
ख़ुशी के आंसू बहाते हैं ॥
नर नारी सब मंगल गावे,
नव से सुमन देव बरसावे ।
भक्त सभी जन मिल के,
अवध में दीपक जलाते हैं ॥