जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,
मात की पिता सेवा सीते तुम यही रह कर करना,
जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,
तन से जुदा हो कर हे प्रीतम आत्मा क्या रह सकती है,
बिछड़ के सांसो से दड़कन क्या इक पल भी चल सकती है,
मेरा भी कैसे स्वामी तुम बिन बाकी रह सकता है जीवन,
जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,
मात पिता सी आज्ञा मिली है,
मुझको अकेले जाने की,
कैसी कर सकता हु भूल सिये तुमको संग ले जाने की,
मुझको अकेले ही वन जाना माता पिता के तुम वचन निभाना,
जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,
पत्नी के लिए मेरे स्वामी पति की सेवा सब से बड़ी है,
पर अह्भागान की देखो किस्मत कितनी बिगड़ी पड़ी है,
यु न दुखाओ सीते तुम मन चलो हमारे संग तुम भी वन,
जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,