एक बार फिर आ कन्हैया,
देश की नैया फिर है खतरे में आ के इसे बचा ,
एक बार फिर आ कनाहिया,
जिस गौओ को तू पूजे था वो भारी दुःख पाती,
अरे बुषरखाने बने देश में गुओ काटी जाती,
बुरी तरह दक्रती तुझको याद करे कान्हा,
एक बार फिर आ कन्हैया....
मदत करी दरोपती की दुष्ट जब नंगी करना चाहते,
आज हजारो के चीर उतारे जाते,
घर घर कंस और दुशाशन इनका गोर मिटा,
एक बार फिर आ कन्हैया.....
फ़ैल रहा है आंतक देश में कोई नही हिमाती,
रोज हजारो निदोशो की जान यहाँ पर जाती,
पानी महंगा खून है सस्ता सड़क पे है रहे बहा,
एक बार फिर आ कन्हैया....
वोटो और नोटों का लालच देश को वेच रहे है,
बेठ के लाखो नीता लोग रोटी सेक रहे है,
आज कवी हरे राम वैसला तुझको रहा बुला,
एक बार फिर आ कन्हैया