मंदिर में बैठी मैया,
मैया जगत खिवैया,
जो करती बेड़ा पार,
चल मिल आएं एक बार,
चल मिल आएं एक बार,
चल भक्ता मंदिर चलिए,
माता के मंदिर चलिए....
मंदिर भवन सजी पताका,
सिंघासन बैठी सजी शलाका,
लाल चूनर है सिंगार,
चल मिल आएं एक बार,
चल मिल आएं एक बार,
चल भक्ता मंदिर चलिए,
माता के मंदिर चलिए......
बोल मां के सच्चे मोती,
नैनों में जगमग ज्योति,
करती दूर अंधकार,
चल मिल आएं एक बार,
चल मिल आएं एक बार,
चल भक्ता मंदिर चलिए,
माता के मंदिर चलिए......
मां करती सिंह सवारी,
रहती दुष्ट दलन पे भारी,
करती पापी का संघार,
चल मिल आएं एक बार,
चल मिल आएं एक बार,
चल भक्ता मंदिर चलिए,
माता के मंदिर चलिए......
श्रद्धा भाव हो जो मन में,
मैया दुख दूर करेगी क्षण में,
कृपा पानी हो जो अपार,
राजीव चल मिल आएं एक बार,
चल मिल आएं एक बार,
चल भक्ता मंदिर चलिए,
माता के मंदिर चलिए......
©राजीव त्यागी नजफगढ़ नई दिल्ली