प्रभु चरणों में आके जो मिलता है,
सहारा हो तो ऐसा हो,
कृपा से इनकी जो चलता है,
गुजारा हो तो ऐसा हो.....
गया ना लौट कर कोई इनके दरबार से सवाली,
जो भी आया भर दी झोली भेजा नहीं कभी खाली,
बिन मांगे यहां मिल जाता है सब,
द्वारा हो तो ऐसा हो,
कृपा से इनकी जो चलता है,
गुजारा हो तो ऐसा हो,
प्रभु चरणों में आके जो मिलता है.....
थाम लेते हैं पतवार जिसकी वो पाता सदा किनारा है,
भटकते मन को आके मिलता इनके चरणों में सहारा है,
चमकता है जो यहां सबका,
सितारा हो तो ऐसा हो,
कृपा से इनकी जो चलता है,
राजीव का गुजारा हो तो ऐसा हो,
प्रभु चरणों में आके जो मिलता है.......
दो घड़ी भी तू प्राणी जो चरणों में इनके डट जाए,
भाग तेरा संवर जाए और संकट भी तेरा कट जाए,
हर शय में है शय इनकी,
देख नजारा हो तो ऐसा हो,
कृपा से इनकी जो चलता है,
गुजारा हो तो ऐसा हो,
प्रभु चरणों में आके जो मिलता है......
©राजीव त्यागी नजफगढ़ नई दिल्ली