रामचरितमानस पाठ के शुभ फलदायक सम्पुट चौपाई मंत्र

रामचरितमानस पाठ के शुभ फलदायक सम्पुट चौपाई मंत्र:

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सु दसरथ अजिर बिहारी ।

सुमिरि पवनसुत पावन नामु, अपने बस करि राखै रामु ।

देवि पूज्य पद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होही सुखारे।

विश्वनाथ मम् नाथ पुरारी, त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी ।

सो तुम्ह जान्हउ अन्तर्यामी, पुरवहु मोर मनोरथ स्वामी ।

सखा सोच त्यागहु बल मोरे, सब बिधि घटब काज मैं तोरे ।

मोर सुधारिहि सो सब भाँती, जासु कृपा नहीं कृपा अघाती ।

दीन दयाल बिरिदु समभारी, हरहु नाथ मम् संकट भारी ।

प्रभु की कृपा भयवु सब काजू, जन्म हमार सुफल भा आजू  ।

सीताराम चरन रति मोरे, अनुदिन बढ़वु अनुग्रह तोरे ।

सिया राम मैं सब जग जानी, करहु प्रनाम जोरि जुग पाणी ।

मोरे हित हरि सम नहीं कोउ, यहि अवसर सहाय सोई होउ ।

महवीर बिनवउँ हनुमाना, राम जासु जस आप बखाना ।

जेहि बिधि प्रभु प्रसन्न मन होई, करुणा सागर कीजै सोई ।

राम कृपा नासहि सब रोगा , जो एहि भाँति बनै संयोगा ।

होय विवेक मोह भ्रम भागा , तव रघुनाथ चरन अनुरागा ।


संकलन: ज्योति नारायण पाठक
              वाराणसी
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