( तेरे खजाने में मां कोई कमी नहीं है,
मुंह मांगा वर देकर झोली सबकी भरी है।। )
जिसने भी तड़प के जब नाम मां का पुकारा,
उसने ही पाया है मां का ये दर्शन प्यारा प्यारा,
जिसने भी तड़प के.....
आजा मां आजा...
मां तेरे दर पे आस लगाए बैठा हूं,
ममता की छैया में दुनियां सजाए बैठा हूं,
देखे तेरी मूरत का नैना मेरे नैना ये नजारा,
जिसने भी तड़प के जब नाम मां का पुकारा......
ध्यानु भगत को मां तुमने ही तारा था,
कितने असुरों को मां तुमने ही मारा था,
कितने ही भक्तो की नैया को लगाया है किनारा,
जिसने भी तड़प के जब नाम मां का पुकारा......
तरस रहे है नैन नैनो को कैसे समझाऊं,
तेरे दरस बिन द्वार से कैसे चला जाऊं,
ऐसा ना हो माता तू ना आए जमाना हंसे सारा,
जिसने भी तड़प के जब नाम मां का पुकारा......
डॉ सजन सोलंकी