तर्ज – कैसी मुरलिया बजाई रे
ग्यारस की रात फिर आयी रे,
कीर्तन की रात फिर आई रे,
श्याम मिलन हो रहा,
ग्यारस की रात फिर आई रे,
श्याम मिलन हो रहा है......
मिलती नजर तो दिल है उछलता,
झुकती ना पलके मनवा ना भरता,
बाबा की जयकार गूंजे गगन में,
दर्शन तेरा सारे दुखड़े है हरता,
श्याम मिलन हो रहा है,
ग्यारस की रात फिर आई रे......
जाने क्या जादू करता सांवरिया,
देखन वाला होता बावरिया,
जी करता है वापस ना जाए,
जाए तो बाबा को ले आए,
श्याम मिलन हो रहा है,
ग्यारस की रात फिर आई रे......
आते जो खाटू में प्रेमी दीवाने,
ले जाते वो मनचाहे खजाने,
बाबा भी भक्तों का आशिक पुराना,
चौखानी आया है इनको रिझाने,
श्याम मिलन हो रहा है,
ग्यारस की रात फिर आई रे.......
ग्यारस की रात फिर आयी रे,
कीर्तन की रात फिर आई रे,
श्याम मिलन हो रहा,
ग्यारस की रात फिर आई रे,
श्याम मिलन हो रहा है......