बाकी दिन तो हम मांगे बाबा से बोल के,
लेकिन फागण में देता बाबा दिल खोल के,
यु तो हर दिन सांवरियां अपना दरबार लगाए,
जिसको जो दरकार है वो आ कर के इसे बताये,
बाकी दिन तो देता है भक्तो को तोल के,
लेकिन फागण में देता बाबा दिल खोल के,
ग्यारस के दिन तो भगतो की भीड़ है होती भारी,
श्याम धनि देता भगतो को चुन चुन बारी बारी,
रखता तिजोरी के वो खजाने खोल के,
लेकिन फागण में देता बाबा दिल खोल के,
यु तो सारे भक्तो पर अपना प्यार लुटाये,
हर ग्यारस पर आने वाले बैठे मौज उड़ाए,
सोनू लाखो वालो के बनते करड़ो रे,
लेकिन फागण में देता बाबा दिल खोल के,