हर घड़ी सुमिरन तुम्हारा

तर्ज – सांवली सूरत पे मोहन

हर घड़ी सुमिरन तुम्हारा,
मेरे इन होठों पे हैं,
नाम प्रियाकांत प्यारा,
मेरे इन होठों पे हैं.......

बांकी छवि बांकी अदा,
बांकी हंसी बांका चलन,
रूबरू बांका नज़ारा,
मेरे इन होठों पे हैं,
नाम प्रियाकांत प्यारा,
मेरे इन होठों पे हैं...........

एक सूरत आपकी,
और दीवाना सारा जहां,
हाल जो होगा हमारा,
मेरे इन होठों पे हैं,
नाम प्रियकांत प्यारा,
मेरे इन होठों पे हैं.........

मेरी आँखों में कटीली,
अपनी आँखे डालकर,
जो किया तुमने इशारा,
मेरे इन होठों पे हैं,
नाम प्रियकांत प्यारा,
मेरे इन होठों पे हैं.........

हर घड़ी सुमिरन तुम्हारा,
मेरे इन होठों पे हैं,
नाम प्रियाकांत प्यारा,
मेरे इन होठों पे हैं.........
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