मेरा श्याम इतना बड़ा है दयालु
दुखी अपने भक्तों को होने ना देता
मेरा श्याम इतना ............
मंझधार में हो जो नैया भगत की
बनकर के मांझी खुद ये खड़ा है
चाहे लाख तूफ़ान हो चले ग़म की आंधी
सबसे लड़ा है ये सबसे लड़ा है
डूबने ना देता अपने भगत को
बाँहें फैलाकर के खुद थाम लेता
मेरा श्याम इतना ............
कई बार इसने निज धाम छोड़ा
भक्तों की खातिर नंगे पाँव दौड़ा
टूटने ना पाए आशा भगत की
कभी दिल ना तोडा कभी दिल ना तोडा
सदा संग रहता है अपने भगत के
के आँखों से ओझल वो होने ना देता
मेरा श्याम इतना ............
भगत के बिना मैं भगवन कैसा
के राधा के बिन आधा लगे श्याम जैसा
ह्रदय पटल पर रखूं मैं भगत को
मुकुट पर सजाऊँ मैं मोरपंख जैसा
कहे राजा ऐसा दूसरा ना कोई
के भक्तों की व्यथा को हर लेता
मेरा श्याम इतना ...........