महालक्ष्मी स्तोत्र मधुपहरी संकीर्तन

       महालक्ष्मी स्तोत्र

श्री कमला कलासना पदमा चतुर्भुज धारिणी।
शंख शूल चक्रधरा सकल असुर संहारिणी।
             रूप राशि चंचला चंद्रमुखी उजियारिणी।
             मुकुट माल चन्द्रिका कनकप्रभा सुहावनी।
अजा जया आदि शक्ति कोटि ब्रह्मांडकारिणी।
जय जय महालक्ष्मी मैया लीला विहारिणी।।
     महामाया महाप्रकृति महादेवी कालरात्रि।
     महाशक्ति महाप्रकृति माहेश्वरी मोहरात्रि।
     महामेदा महासुरी माँ मातङ्गी वरदात्री।
     महारौद्ररूपिणी स्वाहा स्वधा जगद्धात्रि।      
सर्वव्यापक त्रिगुणि स्वरुप नाना धारिणी।
जय जय लक्ष्मी मैया लीला विहारिणी।।
 दुःख दरिद्र शोक पीड़ा पाप त्रिताप हरिणी।
  वरदा सुखदा मोक्षदा कल्याण मंगलकारिणी।।
                ज्ञान बुद्धि भक्ति शक्ति धर्म कर्म संवारिणी।
                क्षमा शिवा दान लीला शरणागत उद्धारिणी।।
तंत्र मंत्र रूपिणी अनंत चमत्कारिणी।
जय जय महालक्ष्मी मैया लीला विहारिणी।।
             विश्व मोहिनी योग माया वैष्णवी नारायणी।
             ईश्वरी सुरेश्वरि त्रिलोकी धाम निवसिनी।
             देवी देव पूजिता विष्णु-प्रिय आह्लादिनी।
             सच्चिदानदरूपिणी भक्तन हिये उन्मादिनी।
जलोदरी महोदरी सिंधुसुता भवतारिणी।
जय जय महालक्ष्मी मैया लीला विहारिणी।।
            स्तोत्र महालक्ष्मी का जो भी निशिदिन गायेगा।
            रिद्धि सिद्धि सम्पदा फल मनवंछित पायेगा।
            मन वचन क्रम प्रेम से जन ‘‘मधुप’’ जो ध्याएगा।
            मन मंदिर में महालक्ष्मी का दर्शन पायेगा।
नेति नेति वेद कहते महिमा मनोहारिणी।
जय जय महालक्ष्मी मैया लीला विहारिणी।।
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