धुन :- ए शमां तेरे जलवों की कसम जल कर ही रहेंगे परवाने
गोकुल के ग्वाले से सीखो ,गो-चारण कैसे जाना है।
गो-सेवा कैसे करनी है ,गो-धन कैसे यह बचाना है।
कभी वन उपवन ,कभी खुले में,ले जाना पड़ेगा गोधन को।
सर्दी गर्मी अरु वर्षा से ,गो धन को हम ने बचाना है।
गोकुल के ग्वाले.....
गोशाला अरु गोधामों के ,करने होंगे निर्माण हमें ,
गोधन की सेहत-सहुलत को ,दुःख-सुख का बोझ उठाना है।
गोकुल के ग्वाले.....
गुड़ चोकर चारा घास पानी ,कभी खत्म न हो गोधामों में ,
सरकार पै निर्भर होना नहीं ,हमें अपना फर्ज़ निभाना है।
गोकुल के ग्वाले.....
गो माता विश्व की माता है ,उत्तम सेवा संचालन हो ,
इन पापी दुष्ट कसाइयों से ,गोधन को मधुप बचाना है।
गोकुल के ग्वाले.....