कुशल कारीगर ही इनकी पहचान
बरम सवरूप ये विश्कारमा भगवान् है
गूंज रहा नो खंड में इनका जय कारा
इनके किरपा से सुंदर बना जहान है
कुशल कारीगर ही इनकी पहचान है
वास करे जग में जगत में इनका सारा है
इन्हों ने श्रृष्टि अपने हाथो से सवारा है
देव भूमि नील आंचल पर्वत का नजारा है
धाम बड़ा ही अद्भुत इनका धारा धारा है
देवो के मुख पे इनका गुणगान है
बरम सवरूप ये विश्कारमा भगवान् है
सुधारपुर में बैठ सिंगासन राज चलाते है
शरणागत का बैठे बैठे काम बनाते है
हर रोते चेहरे पे ये मुस्कान लाते है
भगतो का जीवन आपने हाथो से सजाते है
बड़ी अनोखी छेल इनकी शान है
बरम सवरूप ये विश्कारमा भगवान् है
श्री कृष्ण की द्वारिका पूरी को वसाया है
सोने की सुंदर लंका को भी बनाया है
अश्त्र शत्र हाथो में देवो के थमाया है कुंदन शरण में इनके आके शीश निभाया है
ब्रह्मा विष्णु करते समान है बरम सवरूप ये विश्कारमा भगवान् है